अज़ान का जवाब कैसे दें | Azan Ka Jawab Kaise Dein

 

अज़ान वो खूबसूरत आवाज़ है जो हर मुसलमान के दिल को छू लेती है। ये कोई गाना नहीं, ना ही कोई म्यूज़िक, लेकिन इसमें इतनी ताकत है कि इसे सुनते ही इंसान का दिल अल्लाह की इबादत की तरफ खिंच जाता है। अज़ान नमाज़ की दावत देती है, कामयाबी की राह दिखाती है और हमें याद दिलाती है कि अल्लाह सबसे बड़ा है और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके आखिरी नबी और रसूल हैं।

जब मुअज़्ज़िन मस्जिद से अज़ान देता है, तो ये हर मुसलमान के लिए एक बुलावा है कि वो मस्जिद की तरफ बढ़े और नमाज़ अदा करे। अज़ान सुनकर ऐसा लगता है जैसे अल्लाह खुद हमें अपनी याद में बुला रहा हो। दिन में पांच बार ये आवाज़ हमें दुनिया की भागदौड़ से निकालकर अल्लाह की इबादत की तरफ ले जाती है। ये वो आवाज़ है जो दिल में सुकून भर देती है और हमें बताती है कि असली कामयाबी तो अल्लाह की इबादत में ही है।


अज़ान का जवाब देने का सवाब

हदीस में अज़ान का जवाब देने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत बताई गई है। हमारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि जो शख्स अज़ान का जवाब दिल से देता है, उसे जन्नत में जगह मिलेगी। सोचिए, कितना आसान और बड़ा सवाब है! मुअज़्ज़िन जब अज़ान देता है, तो उसके साथ-साथ जवाब देने वाला भी उस सवाब में शामिल हो जाता है। अगर आप भी इस नेकी का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जब भी अज़ान सुनें, उसका जवाब ज़रूर दें। ये न सिर्फ आपके लिए जन्नत का रास्ता आसान करेगा, बल्कि आपके दिल को भी सुकून देगा।


अज़ान का जवाब कैसे देना है?

अज़ान का जवाब देना बहुत आसान है। जब मुअज़्ज़िन अज़ान के अल्फ़ाज़ बोले, तो आप वही अल्फ़ाज़ दोहराएं। लेकिन कुछ खास अल्फ़ाज़ के जवाब में अलग बातें कही जाती हैं। आइए, इसे आसान तरीके से समझते हैं:

  1. अज़ान: अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
    तर्जुमा: अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है।
    जवाब: अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर

  2. अज़ान: अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह, अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह
    तर्जुमा: मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं।
    जवाब: अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह, अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह

  3. अज़ान: अश्हदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह, अश्हदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह
    तर्जुमा: मैं गवाही देता हूँ कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अल्लाह के रसूल हैं।
    जवाब: अश्हदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह, अश्हदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह

  4. अज़ान: हय्या अलस्सलाह, हय्या अलस्सलाह
    तर्जुमा: आओ नमाज़ की तरफ।
    जवाब: ला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम
    तर्जुमा: न बुराई से बचने की ताकत है, न नेकी करने की ताकत, सिवाय अल्लाह की मदद के।

  5. अज़ान: हय्या अलल फलाह, हय्या अलल फलाह
    तर्जुमा: आओ कामयाबी की तरफ।
    जवाब: ला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम

  6. अज़ान (फज्र की अज़ान में): अस्सलातु खैरुम मिनन नौम, अस्सलातु खैरुम मिनन नौम
    तर्जुमा: नमाज़ नींद से बेहतर है।
    जवाब: सदक्त व बररता
    तर्जुमा: तुमने सच कहा और नेकी की बात कही।

  7. अज़ान: अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
    तर्जुमा: अल्लाह सबसे बड़ा है।
    जवाब: अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर

  8. अज़ान: ला इलाहा इल्लल्लाह
    तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं।
    जवाब: ला इलाहा इल्लल्लाह

अज़ान का जवाब देते वक्त दिल से जवाब देना चाहिए। कोशिश करें कि आप शांति से सुनें और हर लफ्ज़ का जवाब ध्यान से दें। ये न सिर्फ एक सुन्नत है, बल्कि अल्लाह के करीब होने का एक खूबसूरत तरीका भी है।


अज़ान से जुड़े आम सवाल और उनके जवाब

1. “हय्या अलस्सलाह” और “हय्या अलल फलाह” के जवाब में “ला हौला वला कुव्वता” क्यों पढ़ते हैं?

जब मुअज़्ज़िन कहता है “हय्या अलस्सलाह” और “हय्या अलल फलाह” यानी “आओ नमाज़ की तरफ, आओ कामयाबी की तरफ,” तो इसका जवाब “ला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाह” इसलिए दिया जाता है क्योंकि इसका मतलब है कि कोई भी नेकी का काम, जैसे मस्जिद जाना या नमाज़ पढ़ना, सिर्फ अल्लाह की तौफीक से ही हो सकता है। ये अल्लाह की मदद और ताकत की तारीफ करने का तरीका है।

2. अगर एक साथ कई मस्जिदों से अज़ान की आवाज़ आए, तो किसका जवाब दें?

अगर कई मस्जिदों से अज़ान की आवाज़ आ रही हो, तो जिस अज़ान की आवाज़ सबसे पहले आपके कानों में पड़े, उसी का जवाब दें। या फिर जो मस्जिद आपके घर के सबसे करीब हो, उसकी अज़ान का जवाब देना बेहतर है। इससे आपका ध्यान एक अज़ान पर रहेगा और आप सुकून से जवाब दे पाएंगे।

3. फज्र की अज़ान का जवाब कैसे देना है?

फज्र की अज़ान में मुअज़्ज़िन “अस्सलातु खैरुम मिनन नौम” कहता है, जिसका मतलब है “नमाज़ नींद से बेहतर है।” इसके जवाब में आपको कहना है “सदक्त व बररता,” जिसका मतलब है “तुमने सच कहा और नेकी की बात कही।” बाकी अज़ान का जवाब वही है जो ऊपर बताया गया है।

4. क्या नापाकी की हालत में अज़ान का जवाब दे सकते हैं?

हाँ, बिल्कुल! नापाकी की हालत में आप अज़ान का जवाब दे सकते हैं। बस एक बात याद रखें कि नापाकी में आप कुरआन को न छू सकते हैं, न पढ़ सकते हैं। लेकिन अज़ान का जवाब देना, ज़िक्र करना, तस्बीह पढ़ना, ये सब जायज़ है। तो बेफिक्र होकर जवाब दें।

5. अगर कुरआन पढ़ते वक्त अज़ान शुरू हो जाए, तो क्या करें?

अगर आप कुरआन पढ़ रहे हैं और अज़ान शुरू हो जाए, तो बेहतर है कि कुरआन पढ़ना रोककर पहले अज़ान का जवाब दें। ये एक सुन्नत है और इसमें बड़ा सवाब है। अज़ान का जवाब देने के बाद आप फिर से कुरआन की तिलावत शुरू कर सकते हैं।

6. बाथरूम या टॉयलेट में अज़ान सुनाई दे तो जवाब दें?

नहीं, बाथरूम या टॉयलेट में अज़ान का जवाब नहीं देना चाहिए। इन जगहों पर ज़िक्र करना मुनासिब नहीं समझा जाता। अगर आप नहा रहे हैं या ऐसी जगह हैं, तो दिल में अज़ान के अल्फ़ाज़ दोहरा सकते हैं, लेकिन ज़बान से जवाब न दें।


अज़ान का जवाब देने का आसान तरीका

अज़ान का जवाब देना कोई मुश्किल काम नहीं है। बस आपको थोड़ा ध्यान देना है। जब भी अज़ान सुनें, अपने काम को रोकें, शांति से बैठें और मुअज़्ज़िन के अल्फ़ाज़ को ध्यान से सुनें। हर लफ्ज़ का जवाब वैसे ही दें जैसे ऊपर बताया गया है। अगर आप कहीं बाहर हैं या काम में बिजी हैं, तो भी कोशिश करें कि अज़ान का जवाब दें। ये सिर्फ दो-तीन मिनट का वक्त लेता है, लेकिन इसका सवाब बहुत बड़ा है।

अज़ान का जवाब देना न सिर्फ एक सुन्नत है, बल्कि ये आपके और अल्लाह के बीच एक खूबसूरत रिश्ता बनाता है। हर बार जब आप अज़ान का जवाब देते हैं, तो आप अल्लाह की बड़ाई और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की रिसालत की गवाही देते हैं। तो अगली बार जब अज़ान की आवाज़ आए, तो रुकें, सुनें और दिल से जवाब दें।

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